Monday, 18 July 2016

                                                           ज़िन्दगी रुत सी


ज़िन्दगी रुत सी,

कभी छाव सी, कभी धूप सी,

बदलते मौसम,बदलता जीवन,

बदलता समय,बदलते इंसान,

 काश की ये रुक सकते कुछ  पल के लिए, 

क्यों हर चीज़ बदलना चाहती है, 

कभी उम्र , कभी इच्छाऐ , कभी सोच, कभी आशायें,

हर कोई परेशान है, अपने लिए, 

जबकि जानता है की कुछ नहीं मिलने वाला,

किस्मत से ज़यादा , समय से पहले,

 हर इंसान खो चुका है अपनी मुस्कान,

बस आगे बढ़ने की चाहत है  शान, 

सब छुट रहे है रिश्ते, खो रहा  है ईमान,

वाह रे इंसान , यही है तेरी  पहचान, 

कुछ पल प्यार से जी के तो देखो,

लाखो पैसे से ज़यदा होगी उसकी जान, 

पैसे तो अरबो आ जाय सब यही छोड़ कर जाना है, 

बस प्यार और यादें है जिसे दिल में  बसाना है,

वाह रे इंसान , यही है तेरी  पहचान, 

ज़िन्दगी रुत सी,

कभी छाव सी, 

कभी धूप सी||| 

                                                                                                                                         Anamika


 

No comments:

Post a Comment